जा रे गोपाल बाबू! वैसा बाबू अब कहाँ मिले? करमा का माय-बाप, भाय-बहिन, कुल-परिवार जो बूझिए-सब एक गोपाल बाबू!... बिना ' बिलटी-रसीद ' का लावारिस माल था, करमा।
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मेरे पास करोड़ों रुपये की जमा मौजूद है मगर वह इस समय मेरे किसी अर्थ की नहीं, न मालूम उस पर किसका कब्जा होगा और उसे पाकर कौन आदमी अपने का भाग्यवान् मानेगा, या शायद लावारिस माल समझ राजा ही... ।